कलम और किताब 📖 ✒️

आज फिर से क़लम किताब लेकर बैठी हूँ,
ना जाने किससे फ़रियाद करने बैठी हूँ।
ज़्यादा कुछ तो नहीं अभी बस इतना पता है कि 
बहुत कम लफ़्ज़ों में गहरी बात करने बैठी हूँ |

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